भारत-नेपाल सीमा विवाद: लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा पर पूरी जानकारी
भारत और नेपाल के बीच चल रहा सीमा विवाद (Border Dispute) मुख्य रूप से लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्र को लेकर है। यह इलाका उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की काली नदी घाटी में लगभग 17,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह क्षेत्र भारत को तिब्बत से जोड़ता है और कैलाश मानसरोवर यात्रा का पारंपरिक मार्ग भी यहीं से होकर गुजरता है।
विवाद का मूल कारण
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नेपाल का दावा है कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा का त्रिकोणीय क्षेत्र उसके भू-भाग का हिस्सा है।
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नेपाल का कहना है कि भारत उनकी सीमाओं का सम्मान नहीं करता और वह इस इलाके पर कब्ज़ा जमाए हुए है।
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हाल ही में नेपाल ने अपनी संसद में नया नक्शा पारित किया, जिसमें इन क्षेत्रों को अपने हिस्से के रूप में दिखाया गया।
- इतना ही नहीं, नेपाल ने 100 रुपये का नया नोट जारी किया, जिसमें इस क्षेत्र को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया है।
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नेपाल अक्सर इस विवाद को तब तेज़ करता है जब भारत-चीन संबंधों में तनाव बढ़ता है।
काली नदी और सुगौली संधि की भूमिका
सीमा विवाद की जड़ काली नदी (भारत में शारदा नदी) और उसके उद्गम को लेकर है।
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सुगौली संधि (1816) के अनुसार – काली नदी से पूर्व का इलाका नेपाल का होगा और नदी के पश्चिम का इलाका भारत का।
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विवाद का मुख्य मुद्दा यह है कि काली नदी का उद्गम (Origin) कहाँ है।
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नेपाल का कहना है कि इसका उद्गम लिंपियाधुरा से होता है।
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भारत का तर्क है कि नदी का उद्गम कालापानी से होता है।
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भारत के अनुसार, जहाँ से नदी बहना शुरू होती है (यानी छोटी धाराएँ मिलकर मुख्य धारा बनाती हैं) वही उसका असली उद्गम है।
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1923 में यह संधि "शांति और मैत्री संधि" में बदली गई और 1950 में भारत-नेपाल ने नई संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसमें क्षेत्रीय सीमाओं की पहचान बरकरार रही।
भारत का रुख
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भारत का कहना है कि वह 1954 से इस क्षेत्र का उपयोग करता आ रहा है और यह इलाका उसके अधिकार क्षेत्र में है।
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भारत के विदेश मंत्रालय ने नेपाल के दावों को बेबुनियाद बताया और कहा कि यह क्षेत्र लंबे समय से भारत के व्यापार और सामरिक गतिविधियों का हिस्सा रहा है।
विवाद सुलझाने के प्रयास
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दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच कई दौर की वार्ताएँ हुईं – 1960, 1980, 2000 और 2002 में।
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लेकिन अब तक सीमा विवाद का समाधान नहीं हो सका।
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1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद नेपाल का दावा और मज़बूत हुआ।
चीन की भूमिका
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चीन ने इस विवाद में तटस्थ रहने की घोषणा की है, क्योंकि उसके भारत और नेपाल दोनों से व्यापारिक व रणनीतिक संबंध हैं।
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हालांकि, भारत-चीन ने जब लिपुलेख मार्ग से व्यापार खोलने पर सहमति जताई, तो नेपाल ने इसका कड़ा विरोध किया।
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